ऐसे कई लोग हैं जो प्रॉपर्टी में निवेश करना चाहते हैं लेकिन वे यह बात नहीं समझ पाते कि कहां और कैसे निवेश करें। पिछले कुछ साल में रियल एस्टेट की हालत देखकर लोग प्रॉपर्टी में निवेश को लेकर सजग हो गए हैं। अगर आप भी प्रॉपर्टी में निवेश करने का मन बना रहे हैं तो आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा।
सबसे जरूरी बात यह है कि आप प्रॉपर्टी में कितना निवेश कर सकते हैं। रियल एस्टेट में निवेश सबसे महंगा होता है लिहाजा इसके पूरे खर्चों को समझने के बाद ही आप निवेश की तरफ कदम बढ़ाएं।
प्रॉपर्टी में कितना निवेश करना ठीक?
प्रॉपर्टी एक महंगा निवेश है। लिहाजा इसमें पैसे लगाने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि इसमें कितनी रकम आप निवेश कर सकते हैं। इसे समझने का बेहद आसान फॉर्मूला है। एक शख्स जिसकी आमदनी 1 लाख रुपए है और वह साल में 5 लाख रुपए बचा पा रहा है तो वह 35 लाख रुपए प्रॉपर्टी में निवेश कर सकता है।
किसी प्रॉपर्टी की कीमत लगाते हुए उसकी लागत में 10 फीसदी अतिरिक्त कॉस्ट जोड़ना चाहिए। क्योंकि जब आप प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो आपको उसके साथ स्टांप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन, ब्रोकरेज फीस, एडवोकेट फीस, होम लोन प्रोसेसिंग फीस, TDS और सोसायटी एडमिनिस्ट्रेशन चार्ज देना पड़ता है।
होम लोन के लिए करें पूरी तैयारी?
अगर आप होम लोन लेकर प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपना क्रेडिट स्कोर चेक करना होगा। अगर आपका क्रेडिट स्कोर 700 से कम है तो आपको लोन मिलने में मुश्किल आ सकती है। लिहाजा क्रेडिट स्कोर इससे ज्यादा ही होना चाहिए।
होमलोन के लिए आपके पास कुछ जरूरी दस्तावेज भी होने चाहिए। इसमें पिछले छह महीने की सैलरी स्लिप, पिछले साल का इनकम टैक्स रिटर्न, पिछले 6 महीने की बैंक स्टेटमेंट, एड्रेस प्रूफ, आईडेंटिटी प्रूफ सहित कुछ दूसरे दस्तावेजों की जरूरत होती है।
कैसे चुनें प्रॉपर्टी
यह सबसे बड़ा सवाल है कि निवेश के लिए प्रॉपर्टी का चयन कैसे किया जाए। इसके लिए दो चीजों पर फोकस कर सकते हैं। पहला आकर्षक प्रोजेक्ट प्लान और दूसरा मनी वैल्यू।
आकर्षक प्लान का अंदाजा ओपन एरिया और ऑक्यूपायड लैंड के रेशियो से लगा सकते हैं। किसी प्रोजेक्ट में जितनी खुली जगह है वह प्रोजेक्ट उतना अच्छा माना जाएगा।
मनी वैल्यू का मतलब है कि प्रॉपर्टी बहुत ज्यादा महंगी नहीं होनी चाहिए। अगर प्रॉपर्टी महंगी होगी तो उस पर रिटर्न कम मिलेगा। कोई प्रॉपर्टी महंगी है या नहीं..यह जानने का भी एक फॉर्मूला है। आप जिस प्रॉपर्टी या फ्लैट को लेना चाहते हैं उसका किराया प्रॉपर्टी की कीमत के 3 फीसदी से कम नहीं होना चाहिए। मान लीजिए प्रॉपर्टी की कीमत 35 लाख रुपए है और किराया 10,000 रुपए मिल रहा है तो इसकी रेंटल यील्ड यानी किराए से होने वाली कमाई 3.4 फीसदी होगी।
बिल्डर की रेपुटेशन भी जान लें
पिछले कुछ साल में प्रॉपर्टी में पैसा फंसना आम बात हो गई है। वैसे तो कई नामी गिरामी बिल्डर भी होम बायर्स का पैसा लेकर भाग गए हैं लेकिन अपनी तरफ से बिल्डर की रेपुटेशन चेक करना जरूरी है। सस्ता देखकर किसी भी प्रॉपर्टी में निवेश करने से बचें क्योंकि उसमें बचत नहीं घाटा होगा।
Source : MondyControl
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